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वाराणसी : चौकाघाट आयुर्वेदिक चिकित्सालाय के सामने बना अवैध बस स्टैंड का अड्डा

वाराणसी : चौकाघाट आयुर्वेदिक चिकित्सालाय के सामने बना अवैध बस स्टैंड का अड्डा


वाराणसी । चौकाघाट स्थित राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय में अगर इमरजेंसी में कोई एंबुलेंस को बाहर से अंदर आना हो तो शायद ही उसे अस्पताल में एंट्री मिल पाएगी . अस्पताल के सामने प्राइवेट बसों का जमावड़ा इस कदर है कि मुख्य द्वार के सामने ही बसों को खड़ा करने में किसी प्रकार की कोताही बस संचालक नहीं बरतते हैं , जिसकी एक बानगी शनिवार को एक कार्यक्रम में देखने को मिली . मंत्री दयाशंकर दयालु की गाड़ी अस्पताल के मुख्य द्वार के पास फंस गई . इसके बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से प्रशासन को यहां की समस्याओं की जानकारी भी दी गई . अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के मुताबिक कई बार संबंधित अधिकारियों को पत्र भी लिखा जा चुका है , लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है .


अस्पताल के मुख्य द्वार के सामने बसें अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आते हैं . हर दिन मरीज , तीमारदार और चिकित्सकों को जाम की समस्या से दो चार होना पड़ता है . अब स्थिति यह है कि आयुर्वेद अस्पताल के सामने अवैध स्टैंड ने अपनी जड़ें जमा ली हैं और अब तो यह चौकाघाट पर जाम का सबसे बड़ा कारण है . आम आदमी ही नहीं अधिकारियों की गाडिय़ां भी जाम में फंसती हैं , हूटर बजते रहते हैं , लेकिन चालकों पर कोई असर नहीं पड़ता है .


चौकाघाट स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं महाविद्यालय के सामने अवैध तरीके से संचालित हो रहा बस स्टैंड मरीजों के लिए दिन ब दिन खतरनाक होता जा रहा है . यहां से बस पकडऩे के लिए लोगों की बड़ी संख्या हमेशा खड़ी रहती है और बसों से होने वाला शोर व जाम मरीजों को परेशान करता है , लेकिन शिकायत के बाद भी अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है .


महाविद्यालय के सामने बसों की लंबी कतार एक तरफ संस्कृत विश्वविद्यालय तो दूसरी तरफ चौकाघाट तक लगी रहती है . कंडक्टर व खलासी सवारी बैठाने के लिए जोर - जोर से आवाज लगाते हैं और चालक बस को स्टार्ट कर हार्न भी बजाते रहते हैं . इतना ही नहीं सवारियों को बैठाने के चक्कर में कभी - कभी बसों के कर्मचारियों के बीच आपस में लड़ाई भी हो जाती है .


शहर के अंदर अवैध बस स्टैंड को हटाने के लिए दो - दो बार पहल हुई . इसे हटाकर आशापुर में किया गया था . कई दिनों तक बसों का संचालन हुआ . बस संचालकों के दबाव पर इसे आशापुर से हटाकर पीलीकोठी से चलाने पर सहमति बनी , लेकिन अधिकारियों के जाने के बाद धीरे - धीरे बस स्टैंड चौकाघाट में आबाद हो गया है .


आयुर्वेद चिकित्सालय अधीक्षक प्रो . नीलम गुप्ता ने बताया कि चालकों की मनमानी का आलम यह है कि बसों को अंदर तक खड़ा कर देते हैं . मरीजों के वाहन और कर्मचारियों को परेशानी झेलनी पड़ती है . कई बार तो हम लोगों के वाहन भी अंदर नहीं पहुंच पाते हैं . इसकी शिकायत कई बार पत्र के माध्यम से अधिकारियों से की गई , लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है . महाविद्यालय के कर्मचारी जब इन्हें टोकते हैं तो वह हाथापाई पर उतर आते हैं .