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काली और सफ़ेद एक्रेलिक सीट को मोल्ड कर एक मूर्ति का रूप देने की कोशिश कर छात्र

काली और सफ़ेद एक्रेलिक सीट को मोल्ड कर एक मूर्ति का रूप देने की कोशिश कर छात्र


लखनऊ । अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के वास्तुकला एवं योजना संकाय के छात्र-छात्राओं ने पारम्परिक माध्यमों से अलग हटकर नए माध्यमों में प्रयोग कर अपनी कला की अभिव्यक्ति की। बच्चों ने काली-सफेद एक्रेलिक सीट को मोल्ड कर एक मूर्ति का रूप देने की कोशिश की है। यह एक मूर्ती शिल्प का ही रूप है। यहां आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत वास्तुकला एवं योजना संकाय में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।



छात्र-छात्राओं को गाईड कर रहे युवा चित्रकार भूपेंद्र आस्थाना ने बताया कि अमूमन क्ले या कोई धातू से ही मूर्ति बनाई जाती है, लेकिन इन बच्चों ने एक्रेलिक सीट को मोल्ड और फोल्ड कर एक मूर्ति का रूप देने की कोशिश की है। कला के क्षेत्र का यह एक नया प्रयोग है।

इस एक्रेलिक माध्यम में होने वाले कला गतिविधि के विशेषज्ञ के रूप में गिरीश पांडेय, रत्नप्रिया कांत और धीरज यादव ने भी बच्चों को गाईड किया। इसमें कला संकाय से 80 छात्र-छात्राएं शामिल हुए। संस्था के शिक्षक गिरिश पाण्डेय ने ऐक्रेलिक माध्यम में आकारों के निर्माण की परिकल्पना बताई जिसे छात्रों ने अति उत्साह पूर्वक पूरा किया।