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पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ महेश शर्मा ने प्रोफ़ेसर डॉ लल्लन प्रसाद केसरी की पर्यावरण पर लिखित पुस्तक " समुद्र मंथन एक बार फिर " का किया लोकार्पण

पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ महेश शर्मा ने प्रोफ़ेसर डॉ लल्लन प्रसाद केसरी की पर्यावरण पर लिखित पुस्तक " समुद्र मंथन एक बार फिर " का किया लोकार्पण


नई दिल्ली । पर्यावरण प्रदूषण विश्वव्यापी समस्या है जो आधुनिक औद्योगिक सभ्यता जनित उपभोक्तावाद की देन है । आईपीसीसी यानी इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की हालिया जारी रिपोर्ट में इस समस्या की कविता को दर्शाते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रति सतर्कता बरते जाने की सलाह दी गई। पिछले दो शताब्दियों में प्राकृतिक संपदा का जितना दोहन हुआ है और वातावरण को जितना विषाक्त किया जा चुका है उतना 2000 वर्षों में कभी नहीं हुआ था । 

पूरा विश्व प्रदूषण की समस्या से  दुष्प्रभावित है, हालांकि यह समस्या मनुष्य के स्वयं की करनी का फल है, लिहाजा इसका निदान भी उसे ही करना होगा । 
ऐसे में प्रख्यात अर्थशास्त्री और लेखक प्रोफेसर प्रसाद केसरी अपनी " समुंद्र मंथन एक बार फिर " नामक पुस्तक में अपने अनुभव के आधार पर कई व्यवहारिक उपाय भी सुझाए हैं जिन्हें सामान्य जीवन में आसानी से उपयोग में लाया जा सकता है इसके लिए उन्हें उन्होंने तमाम धार्मिक पारंपरिक मान्यताओं का भी जिक्र किया है जिन्हें नई पीढ़ी निरंतर भूलती जा रही है । 
इस संकट के समाधान के लिए प्रयास पिछले सदियों के उत्तरार्ध में ही शुरू किए गए थे परंतु विभिन्न देशों ने अपने-अपने राष्ट्रीय हितों को साधने के क्रम में इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है । 

लेखक प्रोफेसर लल्लन प्रसाद  ( केसरी ) ने प्रदूषण के समग्र कारकों की पहचान करते हुए उन्हें दर्शाने का प्रयास किया है और जिसे कुछ अध्यायों के शीर्षक से समझे जा सकते हैं गहराता जल संकट प्रदूषित वायु प्रदूषित पृथ्वी धराशाई होते हुए क्षेत्र से थाली तक का प्रदूषण स्वच्छ भारत अभियान आदि । प्रदूषण जनित समस्याओं की गंभीरता को समझने और लोगों को जागरुक करने के लिहाज से यह पुस्तक उपयोगी और महत्वपूर्ण है ।

इसी क्रम में गुरुवार डॉ महेश शर्मा ( संसद ) पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री संस्कृति एवं पर्यावरण स्वतंत्र प्रभार भारत सरकार द्वारा पर्यावरण पर समुद्र मंथन एक बार फिर से का लोकार्पण किया।